फास्टैग (FASTag) भारत में इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन (ईटीसी) प्रणाली बन सकता है इतिहास

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   केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने टोल सिस्टम में बड़ा बदलाव करने का निर्णय लिया है। मौजूदा टोल सिस्टम को समाप्त कर दिया गया है।

अब टोल वसूली के लिए नई तकनीकें और तरीके अपनाए जाएंगे ताकि लोगों को परेशानी से बचाया जा सके और टोल कलेक्शन भी अधिक पारदर्शी और प्रभावी हो सके। इस फैसले का मुख्य उद्देश्य टोल नाकों पर लंबी कतारों और ट्रैफिक जाम को कम करना है।

सरकार अब सैटेलाइट बेस्ड टोलिंग सिस्टम पर विचार कर रही है, जिसमें वाहनों से टोल स्वचालित रूप से वसूला जाएगा। इससे टोल कलेक्शन के लिए मैनुअल इंटरवेंशन की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी और टोल चुकाने की प्रक्रिया सरल और सहज हो जाएगी।

इस नई प्रणाली के लागू होने से देश की सड़कों पर यात्रा करने वालों के लिए सफर और भी सुविधाजनक और आरामदायक हो जाएगा।

फास्टैग (FASTag) भारत में इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन (ईटीसी) का एक सिस्टम है, जिसे राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा लागू किया गया है। इसका उद्देश्य टोल प्लाजाओं पर यातायात की सुगमता को बढ़ाना और नकद लेन-देन को कम करना है। आइए, फास्टैग के इतिहास पर एक नज़र डालते हैं:

फास्टैग का इतिहास

  1. शुरुआत और विकास: फास्टैग की शुरुआत 2014 में हुई थी। इसे सबसे पहले राष्ट्रीय राजमार्ग 8 (दिल्ली-गुड़गांव एक्सप्रेसवे) पर पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया गया था। इस परियोजना की सफलता के बाद, इसे धीरे-धीरे अन्य राष्ट्रीय राजमार्गों पर भी लागू किया गया।

  2. आरएफआईडी तकनीक: फास्टैग एक रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) तकनीक पर आधारित टैग है। इसे वाहन के विंडस्क्रीन पर लगाया जाता है और जब वाहन टोल प्लाजा से गुजरता है, तो यह टैग स्वचालित रूप से स्कैन हो जाता है और टोल शुल्क सीधे टैग से जुड़े प्रीपेड या बचत खाते से काट लिया जाता है।

  3. 2017 में अनिवार्यता: 2017 में, सरकार ने सभी नए वाहनों के लिए फास्टैग को अनिवार्य कर दिया। इसके तहत, सभी नए चार पहिया वाहनों के लिए वाहन निर्माताओं को फास्टैग के साथ ही वाहनों की डिलीवरी करनी होती थी।

  4. 2020 में व्यापक विस्तार: 15 फरवरी 2020 से, सरकार ने सभी टोल प्लाजाओं पर फास्टैग को अनिवार्य कर दिया। इसके बाद से, सभी वाहनों के लिए फास्टैग का उपयोग करना अनिवार्य हो गया और टोल प्लाजाओं पर नकद लेन-देन को लगभग समाप्त कर दिया गया।

  5. सुविधाएं और लाभ: फास्टैग के माध्यम से टोल प्लाजा पर रुकने की आवश्यकता नहीं होती, जिससे समय की बचत होती है और ईंधन की खपत भी कम होती है। यह प्रणाली ट्रैफिक जाम को कम करने और प्रदूषण को घटाने में भी मददगार साबित होती है। साथ ही, इससे टोल कलेक्शन में पारदर्शिता और दक्षता भी बढ़ी है।

फास्टैग ने भारत में टोल कलेक्शन की प्रक्रिया को पूरी तरह से बदल दिया है। इसने न केवल यातायात को सुगम बनाया है बल्कि टोल कलेक्शन में भी बड़ी सुविधा प्रदान की है। सरकार के इस कदम से देश की सड़कों पर यात्रा करना और भी आसान और सुविधाजनक हो गया है।

अब फास्टैग सिस्टम को सैटेलाइट टोलिंग सिस्टम में परिवर्तित किया जा रहा है ताकि टोल संग्रह को और भी आसान बनाया जा सके। इस नई प्रणाली के माध्यम से, वाहन की यात्रा की दूरी के आधार पर स्वचालित रूप से टोल शुल्क वसूला जाएगा। इससे टोल प्लाजा पर रुकने की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी, जिससे समय और ईंधन की बचत होगी। सरकार का उद्देश्य इस नई प्रणाली को अधिक से अधिक टोल प्लाजाओं पर लागू करना है, जिससे यातायात को सुगम बनाया जा सके और टोल वसूली में पारदर्शिता और दक्षता लाई जा सके।


सड़क परिवहन और हाईवे मंत्रालय (MoRTH) अब वैश्विक नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) लागू करने जा रहा है। यह नई प्रणाली शुरू में चुनिंदा टोल प्लाजाओं पर लागू की जाएगी। नितिन गडकरी ने पहले ही इस नई प्रणाली के बारे में जानकारी दी थी, जिसमें टोल कलेक्शन प्रक्रिया को पूरी तरह से बदलने का लक्ष्य है।

सैटेलाइट आधारित टोल संग्रह प्रणाली

नितिन गडकरी का बयान: न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए, नितिन गडकरी ने कहा था, "अब हम टोल खत्म कर रहे हैं और सैटेलाइट आधारित टोल संग्रह प्रणाली लागू करने जा रहे हैं। आपके बैंक खाते से पैसे कटेंगे और आप जितनी दूरी तय करेंगे, उसके हिसाब से शुल्क लिया जाएगा। इससे समय और पैसे की बचत होगी। पहले मुंबई से पुणे जाने में 9 घंटे लगते थे, अब यह घटकर 2 घंटे रह गया है।"

नई प्रणाली की जानकारी

दिसंबर में घोषणा: दिसंबर में नितिन गडकरी ने घोषणा की थी कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) का लक्ष्य मार्च 2024 तक इस नई प्रणाली को लागू करना है। वर्ल्ड बैंक को सूचित किया गया है कि टोल प्लाजा पर प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने और प्रतीक्षा समय को कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

GNSS के लाभ

  1. सटीक टोल कलेक्शन: GNSS के माध्यम से वाहन की यात्रा की दूरी के आधार पर टोल शुल्क स्वचालित रूप से बैंक खाते से काट लिया जाएगा।
  2. समय की बचत: टोल प्लाजा पर रुकने की आवश्यकता नहीं होगी, जिससे यात्रा का समय कम होगा।
  3. कम प्रतीक्षा समय: टोल प्लाजा पर औसत प्रतीक्षा समय में उल्लेखनीय कमी आएगी।

प्रारंभिक परीक्षण

GNSS प्रणाली को कर्नाटक में NH-275 के बेंगलुरु-मैसूर खंड और हरियाणा में NH-709 के पानीपत-हिसार खंड पर आजमाया जा चुका है। इन परीक्षणों के सकारात्मक परिणामों के बाद इसे अन्य टोल प्लाजाओं पर भी लागू किया जाएगा।

GNSS प्रणाली के लागू होने से भारत में टोल कलेक्शन प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव आएगा। यह प्रणाली न केवल टोल वसूली को अधिक कुशल बनाएगी, बल्कि यात्रियों के लिए यात्रा को भी अधिक सुविधाजनक और समय की बचत करने वाला बनाएगी।


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