Posts

Showing posts from October, 2024

वो जगह जहां व्हेल मछलियां खुद इंसानों से मिलने आती हैं, दुनिया का सबसे अनोखा नजारा देखने को मिलता है।

  वो जगह जहां व्हेल मछलियां खुद इंसानों से मिलने आती हैं, दुनिया का सबसे अनोखा नजारा देखने को मिलता है। कल्पना कीजिए कि आप एक शांत झील में नाव पर बैठे हुए हैं, चारों ओर पानी का विस्तार और खुला आकाश है, तभी अचानक एक विशाल ग्रे व्हेल मछली आपकी ओर आती है और आपकी आँखों में झांकती है। यह दृश्य मेक्सिको की लागुना सैन इग्नासियो में आम है, जहां ग्रे व्हेल मछलियां हर साल जनवरी से अप्रैल के बीच इंसानों के पास आकर उनसे जुड़ने की कोशिश करती हैं। यह स्थान दुनिया का एकमात्र ऐसा स्थल है, जहां व्हेल मछलियाँ खुद इंसानों को देखने आती हैं। यह अद्वितीय और अविस्मरणीय अनुभव पर्यटकों के लिए बेहद रोमांचक होता है। एक नाविक जोस सांचेज़ की गवाही के अनुसार, जब एक विशाल ग्रे व्हेल मछली करीब आकर पर्यटकों को देखती है, तो ऐसा लगता है जैसे वह उन लोगों को उत्सुकता से देख रही है। यह एक ऐसा क्षण है, जो आपको मंत्रमुग्ध कर देता है और आपके दिल की धड़कनों को तेज कर देता है। एक पर्यटक ने बताया कि एक व्हेल ने 45 मिनट में पांच बार उनके पास आकर उन्हें देखा। इन क्षणों में यह महसूस होता है जैसे इंसानों और व्हेल के बीच एक अदृश्...

बारिश के मौसम में, जब हरी सब्जियों की कमी हो जाती है, तब एक खास सब्जी बाज़ार में मिलती है जो अपने औषधीय गुणों के लिए जानी जाती है—यह है कंटोला।

Image
  बारिश के मौसम में, जब हरी सब्जियों की कमी हो जाती है, तब एक खास सब्जी बाज़ार में मिलती है जो अपने औषधीय गुणों के लिए जानी जाती है—यह है कंटोला। बारिश के मौसम में, जब हरी सब्जियों की कमी हो जाती है, तब एक खास सब्जी बाज़ार में मिलती है जो अपने औषधीय गुणों के लिए जानी जाती है—यह है कंटोला बारिश के मौसम में, जब हरी सब्जियों की कमी हो जाती है, तब एक खास सब्जी बाज़ार में मिलती है जो अपने औषधीय गुणों के लिए जानी जाती है—यह है कंटोला। हरी लीची की तरह दिखने वाली इस कांटेदार सब्जी को अलग-अलग क्षेत्रों में किकोड़ा या काकोड़ा के नाम से भी जाना जाता है। आमतौर पर मानसून के तीन महीनों के दौरान मिलने वाली कंटोला, लौकी के परिवार का हिस्सा है और स्पाइनी गार्ड के नाम से भी मशहूर है। कंटोला की ताकत और पोषण: आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. स्मिता श्रीवास्तव बताती हैं कि यह सब्जी औषधीय गुणों से भरपूर होती है और इसे चिकन या मटन से भी ज्यादा ताकतवर माना जाता है। इसमें विटामिन-सी, फाइबर, विटामिन बी6, आयरन और प्रोटीन सहित कई महत्वपूर्ण पोषक तत्व पाए जाते हैं। यह सब्जी शरीर को ऑक्सीडेटिव तनाव से बचाने में मदद करती ...

आज के दौर में मोबाइल फोन हमारी जिंदगी का ऐसा अहम हिस्सा बन चुका है, जैसे सांस लेना या खाना खाना।

Image
  आज के दौर में मोबाइल फोन हमारी जिंदगी का ऐसा अहम हिस्सा बन चुका है, जैसे सांस लेना या खाना खाना।  आज के दौर में मोबाइल फोन हमारी जिंदगी का ऐसा अहम हिस्सा बन चुका है, जैसे सांस लेना या खाना खाना। सुबह उठते ही सबसे पहले हम इसे देखते हैं और रात में सोने से ठीक पहले इसे बंद करते हैं। ये सिर्फ एक गैजेट नहीं रह गया है, बल्कि हमारी जिंदगी का हिस्सा बन गया है। चाहे काम हो, पढ़ाई हो, दोस्तों से बात करनी हो, या सोशल मीडिया पर स्क्रॉल करना—हर वक्त, हर जगह ये हमारे हाथ में रहता है। अब आप इसका रोज़ाना इस्तेमाल करते हैं, पर क्या कभी सोचा है कि हिंदी में इसे क्या कहते हैं? शायद नहीं! तो चलिए, आपको बताते हैं। इसे हिंदी में "सचल दूरभाष यंत्र" कहा जाता है। सचल का मतलब है "चलने वाला" यानी जो हर जगह साथ ले जाया जा सके, और दूरभाष यंत्र का मतलब है "दूर से बातचीत करने का उपकरण"। मोबाइल फोन की खोज की बात करें तो, यह अमेरिकी इंजीनियर मार्टिन कूपर की देन है, जो मोटोरोला कंपनी के इंजीनियर थे। इसने हमारी दुनिया को बदल दिया और आज हर हाथ में एक फोन है। अगर बात करें दुनिया के सबसे...

दिल्ली की यमुना नदी में जहरीला पानी आना कोई नई बात नहीं है

  दिल्ली की यमुना नदी में जहरीला पानी आना कोई नई बात नहीं है, लेकिन हर साल छठ पूजा से पहले इसका जहरीला रूप और खतरनाक हो जाता है। दिल्ली की यमुना नदी में जहरीला पानी आना कोई नई बात नहीं है, लेकिन हर साल छठ पूजा से पहले इसका जहरीला रूप और खतरनाक हो जाता है। इस बार भी यमुना का पानी सफेद झाग से ढका हुआ है, जो एक बार फिर इसके प्रदूषण की गवाही दे रहा है। वनइंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, यमुना की स्थिति को देखने के लिए ग्राउंड ज़ीरो पर हालात का जायज़ा लिया गया। इस दौरान पता चला कि नदी का पानी इतना दूषित हो चुका है कि उसमें मछलियों और अन्य जलजीवों का जीवन कठिन हो गया है। इस झाग का मुख्य कारण नदी में बहने वाला औद्योगिक कचरा और घरेलू सीवेज है, जो बिना किसी शोधन के सीधे यमुना में डाला जाता है। दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में कई छोटे-बड़े उद्योगों का कचरा, जो भारी धातुओं और जहरीले रसायनों से भरा होता है, सीधे नदी में मिल जाता है। इसके अलावा, घरेलू कचरा और सीवेज के पानी में पाए जाने वाले फॉस्फेट्स और डिटर्जेंट्स भी नदी में झाग बनने का मुख्य कारण हैं। दिल्ली में यमुना नदी का केवल 2% हिस्सा बहता ह...